MP आबकारी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2025 की Answer Key

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (MPESB) द्वारा आयोजित MP आबकारी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2025 की Answer Key जारी कर दी गई है। अभ्यर्थियों जिन्होंने यह परीक्षा दी थी वह आंसर की के माध्यम से अपने सही और गलत प्रश्नों को जांच सकते हैं ।

MP आबकारी कांस्टेबल की Answer Key 2025 कब जारी की गई?

ज्यादातर देखा गया है कि परीक्षा संपन्न होने के कुछ दिन बाद प्रोविजनल (अस्थायी) Answer Key जारी की जाती है। लेकिन इस भर्ती परीक्षा में परीक्षा समाप्त होने के 1 दिन बाद ही आंसर की (उत्तर कुंजी) जारी कर दी गई है यह अभ्यर्थियों के लिए बहुत अच्छी बात है । अभ्यर्थी अपनी उत्तर कुंजी जांचने के बाद गलत क्वेश्चन पर आपत्ति दर्ज कर सकते हैं जिसके लिए मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा 185.4 रुपए का चार्ज रखा गया है ।

आपत्ति दर्ज होने के कुछ दिन बाद फाइनल आंसर की जारी की जाती है। Answer Key उम्मीदवारों के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि इससे वे अपने प्रदर्शन का आकलन कर सकते हैं और रिज़ल्ट आने से पहले ही अपनी संभावित मेरिट स्थिति जान सकते हैं।

MP आबकारी कांस्टेबल Answer Key 2025 डाउनलोड कैसे करें?

Answer Key केवल आधिकारिक वेबसाइट पर ही उपलब्ध होगी। अभ्यार्थी नीचे बताए गए स्टेप्स को फॉलो करके आसानी से इसे डाउनलोड कर सकते हैं –

1. सबसे पहले MPPEB की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। या गूगल पर जाकर सर्च बार में सर्च करे MPesb

2.उसके बाद भाषा (language) का चयन करें।

3.यदि आपने English (अंग्रेजी) भाषा का चयन किया है तब होमपेज पर “Online Question/Answer Objection – Excise Constable Direct and Backlog Recruitment Test -2024   Dated: 22/09/2025 ” सेक्शन पर क्लिक करें।

4.यदि आपने हिंदी भाषा का चयन किया है तब ऑनलाइन – प्रश्न / उत्तर पर आक्षेप –  आबकारी आरक्षक पदो की सीधी एवं बैकलॉग भर्ती परीक्षा-2024 सेक्शन पर क्लिक करें।

5.लिंक पर क्लिक करने के बाद, Objection Tracker Login पर क्लिक करें।

6. अब इसमें अपना आवेदन क्रमांक , TAC कोड और जन्मतिथि डालकर लॉगिन करे ।

7. अब आपकी परीक्षा तिथि और शिफ्ट दिखाई देगी ।

8. उसके नीचे view Response sheet ka option दिखाई देगा उस पर क्लिक करके आप answer key देख सकते है।

9. इसे PDF फॉर्मेट में सेव करके डाउनलोड कर सकते है ।

Answer Key से स्कोर कैसे कैलकुलेट करें?

MPESB परीक्षा में Negative Marking नहीं होती है। ऐसे में अभ्यर्थी नीचे बताए गए तरीके से अपना अनुमानित स्कोर निकाल सकते हैं-

सही उत्तर = +1 अंक

गलत उत्तर = 0 अंक

कुल अंक = (सही उत्तर × 1)

गलत प्रश्न की आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया Objection Process

MPESB उम्मीदवारों को Answer Key में किसी भी प्रश्न/उत्तर पर आपत्ति दर्ज करने का मौका देता है। अगर किसी उम्मीदवार को लगता है कि किसी प्रश्न का उत्तर गलत है, तो वह 185.4 शुल्क जमा करके आपत्ति दर्ज कर सकता है।

आपत्ति दर्ज करने की प्रक्रिया:-

1. MPESB की वेबसाइट पर लॉगिन करें।

2.Answer Key सेक्शन में “Objection Link” पर क्लिक करें।

3. संबंधित प्रश्न चुनें और सही उत्तर का प्रमाण (Proof) अपलोड करें।

4. निर्धारित शुल्क (लगभग ₹185.4 प्रति प्रश्न) का भुगतान करें।

5. सबमिट कर दे।

MP आबकारी कांस्टेबल की Answer Key 2025 अभ्यर्थियों के लिए बहुत जरूरी है। इससे न केवल वे अपना स्कोर का अनुमान लगा सकते हैं, बल्कि भविष्य में रिज़ल्ट आने तक की अनिश्चितता भी कम हो जाती है। उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि Answer Key को ध्यान से देखें, और यदि कोई त्रुटि हो तो निर्धारित समय में आपत्ति दर्ज जरूर करें।

कुछ अन्य FAQs – MP आबकारी कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2025 Answer Key

Q. मध्य प्रदेश आबकारी कांस्टेबल परीक्षा भर्ती के ऑनलाइन आवेदन कब से शुरू हुए थे ?

Ans. 15 फरवरी 2025 से

Q. आवेदन की अंतिम तिथि क्या थी ?

Ans. 1 मार्च 2025

Q. आवेदन फीस का भुगतान/फॉर्म सबमिट करने की अंतिम तिथि क्या थी?

Ans. 1 मार्च 2025

Q. मध्य प्रदेश आबकारी कांस्टेबल परीक्षा मैं कुल कितने पदों पर भर्ती की जा रही है?

Ans. MP आबकारी कांस्टेबल भर्ती 2025 में कुल 253 पद हैं।

Q. अगर Answer Key में कोई गलती लगे तो क्या करें?

Ans. आप मध्य प्रदेश व्यवसायिक परीक्षा मंडल द्वारा दी गई समय सीमा के भीतर आपत्ति दर्ज करवा सकते हैं ।

Q. Objection दर्ज करने की फीस कितनी है?

मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आपत्ति दर्ज करने का शुल्क 185.4 रखा गया है।

Q. Final Answer Key कब जारी होगी?

Ans. सभी objections की जाँच के बाद Final Answer Key जारी होती है, इसी के आधार पर रिजल्ट तैयार होता है।

Q.क्या Final Answer Key में बदलाव हो सकता है ?

Ans. हाँ, यदि अभ्यर्थियों के objections सही पाए जाते हैं तो संबंधित प्रश्न का उत्तर संशोधित किया जाता है।

Q. क्या रिजल्ट Answer Key से ही निकलता है?

Ans. हाँ, रिजल्ट पूरी तरह से Final Answer Key के आधार पर ही तैयार किया जाता है।

Q. क्या Answer Key से अनुमानित स्कोर निकाला जा सकता है?

Ans. हाँ, अपने उत्तरों की तुलना Answer Key से करके अपना अनुमानित स्कोर निकाला जा सकता है।

“हेल्थ स्मार्ट कार्ड: फायदे, पात्रता और बनाने की पूरी प्रक्रिया (ABHA ID)”

हेल्थ स्मार्ट कार्ड (ABHA ID) आपके मेडिकल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने वाला डिजिटल कार्ड है। जानिए “हेल्थ स्मार्ट कार्ड के फायदे, पात्रता और प्रक्रिया – ऑनलाइन व ऑफलाइन तरीके से। आयुष्मान भारत योजना व सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ लेने के लिए हेल्थ स्मार्ट कार्ड क्यों ज़रूरी है, यहां पढ़ें ।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड क्या है?”

हेल्थ स्मार्ट कार्ड एक डिजिटल हेल्थ आईडी कार्ड है, जिसमें किसी व्यक्ति की पूरी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी (Health Records) सुरक्षित रहती है। इसे आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत शुरू किया गया है। इसमें एक यूनिक हेल्थ आईडी नंबर (ABHA ID) दिया जाता है, जिसके ज़रिए आपका मेडिकल डेटा देश के किसी भी अस्पताल या डॉक्टर तक पहुँचाया जा सकता हैं।

इसमें आपका ब्लड ग्रुप, बीमारी, इलाज, टेस्ट रिपोर्ट, दवाइयाँ, एलर्जी, टीकाकरण और हेल्थ इंश्योरेंस सबकुछ स्टोर रहता है। जब आप किसी भी अस्पताल में इलाज करवाने जाएंगे तो यह कार्ड दिखाने से डॉक्टर आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री देख सकते है।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड की ज़रूरत क्यों है?”हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाने की प्रक्रिया”

वर्तमान समय में हेल्थ स्मार्ट कार्ड बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह आपकी पूरी मेडिकल हिस्ट्री को डिजिटल रूप में सुरक्षित रखता है और सही समय पर सही इलाज दिलाने में मदद करता है।

• मुख्य कारण

1.मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित और एक जगह पर रहता है।

2. आपको अलग-अलग फाइलें, रिपोर्ट या प्रिसक्रिप्शन लेकर घूमने की जरूरत नहीं है।

3. सारी जानकारी कार्ड में से रहती है।

एक्सीडेंट या अचानक होने वाली बीमारी में डॉक्टर को आपका ब्लड ग्रुप एलर्जी और पुरानी बीमारियों की जानकारी तुरंत मिल जाती है , इससे आपका इलाज जल्दी शुरू हो जाता है। सरकारी योजनाओं का लाभ मिल जाता है आयुष्मान भारत योजना जैसी हेल्थ स्कीम का फायदा उठाने के लिए हेल्थ स्मार्ट कार्ड उपयोगी होता है ।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड कहां से बनवाया जा सकता है

हेल्थ स्मार्ट कार्ड दोनों तरीके से बनवाया जा सकता है ऑफलाइन और ऑनलाइन ।

1. ऑनलाइन तरीका

aayushman Bharat digital mission पोर्टल

या आधिकारिक मोबाइल ऐप ABHA App या Aarogya Setu App

यहां पर आप आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस से रजिस्ट्रेशन करके तुरंत हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवा सकते हैं ।

2. ऑफलाइन तरीका

आप अपनी नजदीकी जगह पर जाकर भी हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवा सकते हैं । जैसे सरकारी अस्पताल, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर , प्राइमरी हेल्थ सेंटर , जन सेवा केंद्र, लोक सेवा केंद्र, आयुष्मान भारत योजना , से जुड़े अस्पताल आदि।

3. जरूरी डॉक्यूमेंट

आधार कार्ड / driving licence/ वोटर आईडी/ मोबाइल नंबर ओटीपी वेरिफिकेशन के लिए / फोटो

क्या हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाना अनिवार्य है

नहीं , हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाना अनिवार्य नहीं है। क्योंकि यह एक सुविधा है , जरूरत नहीं । सरकार (जैसे आयुष्मान भारत डिजिटल हेल्थ आईडी) या कुछ राज्य सरकारें व निजी अस्पताल यह कार्ड उपलब्ध कराते हैं। जिसका उद्देश्य है कि आपकी सारी स्वास्थ्य जानकारी डिजिटल रूप में एक ही जगह सुरक्षित रहे और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर या अस्पताल तुरंत मिल सके ।

कार्ड ना बनवाने पर होने वाली समस्याएं

इलाज और अस्पताल सेवाएं पहले की तरह मिलती रहेगी । लेकिन आपकी मेडिकल हिस्ट्री या जानकारी एक जगह पर उपलब्ध नहीं मिलेगी । बीमा क्लेम सरकारी योजना में कभी-कभी देरी हो सकती है ।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड किन के लिए जरूरी है

• प्रत्येक नागरिक के लिए चाहे बुजुर्ग हो या बच्चा ।

• लंबी बीमारी वाले मरीजों के लिए ।

• इमरजेंसी केस वालों के लिए ।

• सरकारी हेल्थ योजनाओं का लाभ लेने वालों के लिए ।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाने के फायदे

• सारे मेडिकल रिकॉर्ड जैसे रिपोर्ट , दवाइयां हिस्ट्री एक जगह पर सुरक्षित रहती है।

•इमरजेंसी में blood group , बीमारी की जानकारी तुरंत देने के लिए

•सरकारी योजनाओं का लाभ जैसे आयुष्मान भारत आदि का फायदा आसानी से मिल जाता है।

• बीमा क्लेम आसान – पारदर्शिता और तेज प्रक्रिया ।

• डॉक्टर – मरीज दोनों के लिए सुविधा ।

• यह कार्ड डिजिटल और सुरक्षित रहता है खोने का डर नहीं रहता ।

हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए पात्रता क्या होनी चाहिए

1.ABHA Health ID

• भारत का नागरिक होना चाहिए ।

•किसी भी उम्र का व्यक्ति बनवा सकता है ।

•आधार कार्ड या मोबाइल नंबर होना चाहिए ।

2. आयुष्मान भारत card

• यह केवल गरीब एवं पात्र परिवारों को मिलता है ।

• केवल SECC-2011 (सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011) की सूची में शामिल परिवार वालों के लिए ।

•ग्रामीण क्षेत्र में: कच्चा मकान, मजदूरी पर निर्भर, महिला मुखिया, SC/ST, भूमिहीन आदि ।

•शहरी क्षेत्र में: रिक्शा चालक, घर का काम करने वाले, निर्माण श्रमिक, ठेला चलाने वाले आदि

•सभी उम्र के लिए मान्य है ।

3.राज्य सरकारों के स्मार्ट हेल्थ कार्ड (जैसे Odisha, Chhattisgarh, आदि)

• •उस राज्य का निवासी होना ज़रूरी है।

•गरीबी रेखा से नीचे (BPL) परिवार या राज्य सरकार द्वारा तय की गई श्रेणियाँ ।

•कुछ योजनाओं में सभी नागरिकों को भी शामिल किया गया है (जैसे ओडिशा का Biju Swasthya Kalyan Yojana Card)

क्या आधार मोबाइल से लिंक ना होने पर भी बन जाएगी हेल्थ स्मार्ट आईडी?

यदि लाभार्थी अपने आधार नंबर का विकल्प चुनता है, तो आधार से जुड़े मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी भेजा जाएगा. हालांकि, अगर उसने इसे अपने मोबाइल से लिंक नहीं किया है, तो लाभार्थी को निकटतम केंद्र पर जाना होगा और आधार संख्या का उपयोग करके बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन का विकल्प चुनना होगा. ऑथेंटिकेशन के बाद आधार नंबर से स्वास्थ्य आईडी मिल जाएगी ।

क्‍या हेल्‍थ स्मार्ट कार्ड बनने में लगने वाला डाटा सेफ है?

हेल्‍थ डाटा को लेकर NDHM का कहना है कि वह किसी भी व्यक्ति का हेल्‍थ रिकॉर्ड स्‍टोर करके नही रखता है. इसमें व्‍यक्ति का हेल्‍थ रिकॉर्ड हेल्‍थकेयर इन्‍फॉर्मेशन प्रोवाइर्स के पास ही उसकी रिटेंशन पॉलिसी के तहत स्‍टोर होता है। वह NDHM पर आपकी मंजूरी देने के बाद शेयर किया जाता है। आपकी अनुमति के कोई डाटा शेयर नहीं किया जाएगा. इस हेल्थ आईडी कार्ड के जरिए आपका डॉक्टर केवल एक बार आपका डाटा देख सकता है. अगर आप डॉक्‍टर के पास दोबारा जाते हैं, तो वह फिर से आपसे एक्‍सेस लेगा ।

लेवल जानकारी
कार्ड का नाम ABHA Health ID
उपलब्धता ऑनलाइन/ ऑफलाइन
बनवाने का तरीकाआधार या ओटीपी के माध्यम से
डाउनलोडआधिकारिक पोर्टल संबंधित ऐप के माध्यम से
शुल्क निशुल्क बनता है ।

“अभी अपना हेल्थ स्मार्ट कार्ड बनाएं”

abha.abdm.gov.in

कुछ अन्य FAQs

1.ABHA ID किस योजना के अंतर्गत जारी की जाती है ।

यह आइडी आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के अंतर्गत जारी की जाती है ।

2. आयुष्मान भारत योजना कब शुरू की गई थी ।

2018 मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ।

3.ABHA Card बनवाने के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है ।

आधार कार्ड /driving licence, मोबाइल नंबर ओटीपी के लिए और पासपोर्ट साइज फोटो ।

4. आयुष्मान भारत योजना का आधिकारिक नाम क्या है ।

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

5.ABHA Health ID कितने अंको की होती है ।

14 अंको की।

6. आयुष्मान भारत योजना का स्लोगन क्या है ।

सेहत ही सबसे बड़ी दौलत है

7. आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से किन अस्पतालों में इलाज करवाया जा सकता है।

सभी empanelled सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में ।

“पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना subsidy”

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना आम लोगों को बिजली, बचत और आय तीनों का फायदा दे रही हैं। इसको लागू करने के लिए “पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना subsidy” भी दे रही हैं।

आखिर क्या है पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना ?

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana एक) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक सराहनीय योजना है। इस योजना के माध्यम से सरकार 1 करोड़ परिवारों की छतों पर सोलर रूफटॉप पैनल लगवा रही हैं । इन पैनलों से घर की जरूरत के हिसाब से बिजली बनेगी और फिर योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि हर परिवार को प्रतिमाह 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त मिलेगी। यदि आपके घर में पैनल से ज्यादा बिजली बनती है, तो उसे बिजली कंपनी को बेचकर कमाई भी की जा सकती है।

इस योजना की शुरुआत कब और किसके द्वारा की गई?

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना (PM Surya Ghar: Muft Bijli Yojana) की शुरुआत 13 फ़रवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने की थी। इस योजना का उद्देश्य देश के 1 करोड़ परिवारों को 300 यूनिट मुफ्त बिजली हर महीने दी जाएगी, और लोगों की छतों पर सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार सब्सिडी भी देगी।

इस योजना के तहत कितनी यूनिट मुफ्त बिजली मिलेगी?

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत प्रत्येक पात्र परिवार को प्रत्येक महीने 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली दी जावेगी। यदि आपकी मासिक खपत 300 यूनिट से कम है, तो आपको बिजली बिल भुगतान नहीं करना पड़ता हैं। इस योजना के माध्यम से यदि आप अपने सोलर पैनल से अधिक बिजली उत्पादन कर रहे हैं तो आप अपनी खपत के अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच सकते हैं ।

सोलर पैनल लगाने से बिजली बिल में कितनी बचत होगी?

यदि उत्पादन खपत से ज्यादा है, तब अतिरिक्त यूनिट पर डिस्कॉम से ₹2–₹4/यूनिट तक क्रेडिट/आय मिल सकती है । 1 kW रूफटॉप सोलर औसतन ~110–140 यूनिट/महीना बनाता है (ज्यादातर जगह ~120 मान लें)।

बचत/लाभ = (मुफ्त यूनिट × टैरिफ) + (नेट-एक्सपोर्ट × फीड-इन रेट)

मुफ्त यूनिट = min(आपका उत्पादन, 300, आपकी खपत)

नेट-एक्सपोर्ट = max(उत्पादन − खपत, 0)

इस योजना के तहत 1kW, 2kW और 3kW सोलर लगाने पर कितनी लागत आएगी?

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत 1 kW के लिए ₹30,000, 2 kW के लिए कुल ₹60,000, और 3 kW के लिए कुल ₹78,000 की सब्सिडी/बेंचमार्क क्रेडिट उपलब्ध है ।

1 kW – ₹42,000 – ₹72,000 (इसमें छोटा सिस्टम; ऑफ-ग्रिड/बैटरी शामिल होने पर बहुत ज्यादा)।

2 kW – ₹80,000 – ₹1,40,000 आमतौर पर 1 kW के लगभग दुगना, पर परिशिष्ट खर्च को बदला जा सकता है।

3 kW – ₹1,20,000 – ₹2,15,000 (3 kW तक का पूरा ऑन-ग्रिड सिस्टम; हाई-एंड उपकरण होने पर रेंज ऊपर जाती है)।

सब्सिडी लागू करने के बाद (Estimated NET Cost = Gross − Subsidy)

इस पोर्टल पर आवेदन करने के लिए पात्रता क्या होनी चाहिए?

• केवल घरेलू उपभोक्ता ही इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

• आवेदक के पास खुद का घर और छत होनी चाहिए।

•आधार कार्ड, बिजली का बिल और बैंक खाता होना जरूरी है।

इस योजना के लिए आवेदन कैसे किया जा सकता है?

• प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना में आवेदन करने के लिए आधिकारिक पोर्टल pmsuryaghar.gov.in पर जाएं।

• अब पोर्टल पर अपना आधार कार्ड नंबर और बिजली उपभोक्ता नंबर से रजिस्ट्रेशन करे।

• इंस्टॉलेशन के बाद सब्सिडी की राशि अब सीधे आपके बैंक खाते में भेज दी जाएगी।

• आपको सरकार द्वारा अधिकृत (empanelled) कंपनियों से ही सोलर पैनल लगवाना होगा तभी आपको इसका लाभ दिया जाएगा।

क्या इस योजना में लोन की सुविधा भी उपलब्ध है?

हाँ, पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत लोन सुविधा भी उपलब्ध है।

•रूफटॉप सोलर लगवाने के लिए बैंक/फाइनेंस कंपनियाँ आसान लोन देती हैं।

सरकार ने बैंकों और NBFCs को निर्देश दिया है कि वे योजना के लाभार्थियों को सोलर इंस्टॉलेशन के लिए कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराएँ।

• ब्याज दर (Interest Rate)

सामान्य होम/पर्सनल लोन से कम, यानी लगभग 7%–10% तक (राज्य और बैंक पर निर्भर)।

कुछ सरकारी बैंकों में इसे Priority Sector Lending (PSL) में शामिल किया गया है, जिससे लोन पाना आसान हो जाता है।

• लोन की अवधि (Tenure)

आम तौर पर 3 साल से 7 साल तक की अवधि में EMI चुकानी होती है।

निष्कर्ष

पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है, जिसका उद्देश्य लोगों को 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली उपलब्ध कराना, घर-घर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना से न केवल लोगों का बिजली बिल कम होगा बल्कि वे अतिरिक्त बिजली बेचकर आय भी अर्जित कर सकेंगे। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और लोन सुविधा इस योजना को और अधिक सुलभ बनाती है।

“2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है?”

pm kusum yojana 2025 kya hai

pm kusum yojana 2025 kya hai इस योजना के माध्यम से किसान अपने खेत में सौर ऊर्जा से पंप चलाकर सिंचाई कर सकता है और अतिरिक्त बिजली ग्रिड में बेच सकता है। इस योजना के माध्यम किसानों की किस्मत पलटेगी – खेत से निकलेगी करोड़ों की बिजली!

PM-KUSUM योजना क्या है?pm kusum yojana 2025 kya hai

“प्रधानमंत्री कुसुम योजना” अर्थात Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthaan Mahabhiyan। यह योजना किसानों को सशक्त बनाने, खेती में आत्मनिर्भर बनाने और सौर ऊर्जा के माध्यम से हर खेत तक बिजली पहुँचाने का ऐत अभियान है। भारत सदियों के दिनों से कृषि प्रधान देश रहा है। यहाँ किसान को अन्नदाता कहा जाता है। खेतों में फसलों को सींचने के लिए बिजली नहीं मिलती रही है,और न तो डीज़ल , बिजली समय पर नहीं मिलती है यही किसान की सबसे बड़ी समस्या थी जोकि इस योजना के तहत कई हद तक ठीक हुई हैं।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना कब शुरू की गई थी?

Pm kusum Yojana की घोषणा भारत के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने केंद्रीय बजट 2018-19 में की थी। प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) को भारत सरकार ने शुरू किया था। यह योजना नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE – Ministry of New and Renewable Energy) के तहत लागू की गई।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत क्या क्या मिलता है?

• इस योजना के माध्यम से किसान अपनी जमीन पर सौर पैनल (Solar Panels) लगाकर बिजली पैदा कर सकते हैं।

•इस तरीके से उत्पन्न बिजली का उपयोग खेतों की सिंचाई, घर की जरूरतें और यहाँ तक कि गाँव के उद्योगों के लिए किया जा सकता है।

• उपयोग करने के बाद बची हुई बिजली सीधे सरकार (DISCOM) को बेची जा सकती है।

• किसान को हर महीने/साल स्थायी आय मिलती है।

• यह योजना किसानों के लिए आमदनी का सहारा है और इस योजना से किसान लोगों को प्रोत्साहन मिलेगा ।

• यह योजना न सिर्फ किसानों को समृद्ध बना रही है, बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर (Atmanirbhar Bharat) बनाने की दिशा में काम कर रही है।

PM-KUSUM योजना को कितने भागो में बाटा गया है?

प्रधानमंत्री कुसुम योजना को तीन हिस्सों (Components) में बाटा गया है :-

1.सोलर पावर प्लांट :- किसान, सहकारी समिति या पंचायत अपनी जमीन पर 0.5 MW (मेगावाट) से 2 मेगावाट तक का सौर संयंत्र लगा सकते हैं। 1 MW प्लांट के लिए लगभग 4–5 एकड़ जमीन चाहिए। उत्पादित बिजली को DISCOM को बेचा जाता हैं। छः एकड़ जमीन वाला किसान 1 MW प्लांट लगाकर सालाना 40–50 लाख की कमाई कर सकता है। किसान को हर साल लाखों रुपये की गारंटीड आय होती है।

2. सोलर पंप :- डीज़ल/बिजली पर चलने वाले सिंचाई पंप की जगह सौर पंप (Solar Pumps) दिए जाते हैं। फिर न डीज़ल की चिंता, न बिजली कटौती का डर। इस योजना में किसानों को 60% तक सब्सिडी मिलती है।

3.ग्रिड-Connected पंपों का सोलराइजेशन :- किसान अपने खेत में सौर ऊर्जा से पंप चलाकर सिंचाई कर सकता है और अतिरिक्त बिजली ग्रिड में बेच सकता है। कुसुम योजना को समझते ही किसान को लगता है मानो उसकी किस्मत पलट गई हो क्योंकि बिजली कटौती की नो टेंशन और बिजली बेच कर पैसे भी कमाओ।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को मिलने वाले लाभ ?

1. मुफ्त सिंचाई का फायदा –अब पंप चलाने के लिए न बिजली बिल देना है और न डीज़ल जलाना है।

2. अतिरिक्त आय का स्रोत –खेत में बिजली बनाओ और बची हुई बिजली सरकार को बेचकर हर साल लाखों रुपये कमाओ।

3. पर्यावरण प्रदूषण से मुक्ति – आमतौर पर डीज़ल जलाने से प्रदूषण होता था। अब स्वच्छ सौर ऊर्जा से खेत भी हरे-भरे और आसमान भी साफ।

4. स्थायी रोज़गार –गाँव में पावर प्लांट लगाने से स्थानीय लोगों को रोजगार मिलता है।

5. ऊर्जा में आत्मनिर्भरता –किसान इस योजना का लाभ लेने के बाद उपभोक्ता नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादक (Energy Producer) बन जाता है।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना में किसानों को कितनी सब्सिडी दी जाती है?

इस योजना के अंतर्गत किसानों को सौर पंप और सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने पर सब्सिडी दी जाती है। यानी किसान को कुल लागत का केवल लगभग 30–40% ही खर्च करना पड़ता है। किसान का स्वयं का योगदान : 40% (जिसमें से यदि वह.. चाहे तो बैंक से स्वयं रोजगार के तहत ऋण भी ले सकता है) । प्रधानमंत्री कुसुम योजना में किसानों को केंद्र सरकार की ओर से 30% और राज्य सरकार की ओर से 30% अनुदान मिलता है।

Pm Kusum योजना के लिए पात्रता क्या है?

1. आवेदक किसान होना चाहिए – व्यक्तिगत किसान, किसान समूह, सहकारी समिति, पंचायत, किसान उत्पादक संगठन (FPO) आदि आवेदन कर सकते हैं।

2. भूमि की शर्त –सोलर पंप के लिए किसान के पास अपनी कृषि भूमि होनी चाहिए।सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए न्यूनतम भूमि (लगभग 1 एकड़ प्रति मेगावाट) उपलब्ध होनी चाहिए।

3. भारतीय नागरिक होना आवश्यक है।

4. डीजल/ग्रिड आधारित पंप चलाने वाले किसान इस योजना का लाभ ले सकते हैं।

5. लाभार्थी ने पहले किसी अन्य समान सौर पंप सब्सिडी योजना का लाभ न लिया हो।

प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ लेने के लिए कैसे आवेदन करें ?

1. किसान को अपनी जमीन उपलब्ध करानी होगी।

2. राज्य की नोडल एजेंसी (जैसे MP में MPUVNL, UP में UPNEDA) में आवेदन करना होगा।

3. DISCOM के साथ बिजली बेचने का अनुबंध (PPA) होगा।

4. MNRE-Approved Vendor से सौर पैनल लगवाए जाते हैं।

5. प्लांट बनते ही उत्पादन और कमाई शुरू।

पूछे गए अन्य FAQs

Q. इस योजना को किस मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है?

नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE – Ministry of New and Renewable Energy)

Q.प्रधानमंत्री कुसुम योजना का पूरा नाम क्या है?

प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान

Q. इस योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?

किसानों को फ्री बिजली देना, किसानों की आय दोगुनी करना ,किसानों को सौर ऊर्जा आधारित उपकरण उपलब्ध कराना , कृषि उपज बढ़ाना आदि।

Q. किसानों को इस योजना से क्या लाभ मिलता है?

खेतों में 24 घंटे सिंचाई की सुविधा मिलती हैं। बिजली/डीजल का खर्च बचता है।अतिरिक्त बिजली बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकते है।

Q. इस योजना से देश में ऊर्जा सुरक्षा पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

प्रदूषण व कार्बन उत्सर्जन घटेगा क्योंकि डीजल, पेट्रोल के अधिक उपयोग से प्रदूषण होता है। गाँवों में स्थायी बिजली उपलब्ध होगी। पेट्रोलियम आयात घटेगा जिससे विदेशी मुद्रा की बचत होगी ।

क्या आपने अभी तक आवेदन किया कमेंट्स करके जरूर बताएं 👇

“2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है?”

जब बात आती है बिजली की तब वहां एक और बात आती है , वह हैं बिजली बिल । कि घरों में पंखा, टीवी, फ्रिज आदि में ,”2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है?”

लेकिन इनकी खपत (units) और राज्य के हिसाब से लगने वाला per unit चार्ज तय करता है कि बिजली का बिल कितना आयेगा। क्योंकि प्रत्येक राज्य और क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग बिल जनरेट किया जाता है ।

2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है? प्रत्येक महीने

किसी भी क्षेत्र में बिजली बिल का आना सीधे-सीधे उपयोग (कितने घंटे रोज़ चल रहा है) और आपके राज्य का प्रति यूनिट रेट (₹/kWh) पर निर्भर करता है।

क्योंकि यह प्रत्येक राज्य के प्रति यूनिट रेट के अनुसार जनरेट किया जाता है । इसलिए सीधे तौर पर किसी भी क्षेत्र के बिजली बिल के बारे में पता पाना थोड़ा कठिन है । आप अपने ए क्षेत्र का बिजली बिल की गणना स्वयं सूत्र के माध्यम से कर सकते हैं यदि आपको कुछ बेसिक जानकारी पता हो कि आपके क्षेत्र में कितने रुपए एक का यूनिट लिया जाता है

बिजली बिल निकालने का फॉर्मूला या सूत्र?2 kW का बिल कैसे कैलकुलेट करें?

लोड (kW) × घंटे (प्रति दिन) × 30 दिन = यूनिट (kWh) और unit निकल जाने के बाद

यूनिट × प्रति यूनिट रेट (₹) = कुल बिल( + फिक्स्ड चार्ज + टैक्स आदि

प्रत्येक राज्य का per unit rate अलग होता है (₹4–₹9 तक हो सकता है) उसी हिसाब से बिल बनता है। कई राज्यों में 200 यूनिट तक सब्सिडी भी मिलती है (जैसे दिल्ली, पंजाब, MP आदि)। फिक्स्ड चार्ज अलग-अलग डिस्कॉम में अलग होते हैं ।

2 kW connection में प्रति यूनिट चार्ज कैसे लगता है?

2 किलोवाट connection में प्रति यूनिट चार्ज (Electricity Tariff) वैसे ही लगता है जैसे किसी और घरेलू कनेक्शन में लगता है। लोड (1 kW, 2 kW, 3 kW…) से per unit rate तय नहीं होता, बल्कि यह आपके State Electricity Board/Discom की tariff policy पर निर्भर करता है कि उन्होंने कितने % रेट तय कर रखा है। कई राज्यों में सब्सिडी दी जाती है जैसे दिल्ली, पंजाब, MP, आदि,अगर खपत कम है (200 यूनिट या 300 यूनिट तक), तो यूनिट चार्ज या तो आधा कर दिया जाता है या बिल माफ हो जाता है।

2 kW घरेलू कनेक्शन में मीटर चार्ज व टैक्स कैसे जुड़ते हैं?

घरेलू कनेक्शन का बिल सिर्फ़ “यूनिट × रेट” से नहीं बनता, बल्कि उसमें कुछ अतिरिक्त चार्ज भी जुड़े होते हैं। जैसे

1. मीटर चार्ज – डिस्कॉम (बिजली कंपनियाँ) हर महीने एक फिक्स्ड मीटर चार्ज जोड़ते हैं। यह चार्ज सभी जगह अलग-अलग हो सकता है । यह चार्ज लगभग ₹20 से ₹50/माह तक होता है। यदि आपके यहां स्मार्ट मीटर है तो कभी-कभी अलग से कम्युनिकेशन चार्ज (~₹10–₹20/माह) भी जोड़ा जाता है। कुछ राज्यों ने मीटर रेंट को ख़त्म कर दिया है और इसे फिक्स्ड चार्ज में ही शामिल कर दिया है।

2. फिक्स्ड चार्ज :- यह चार्ज आपके लोड (2 kW) के आधार पर लगता है।कुछ राज्यों में यह ₹150–₹200 तक हो सकता है।

3. इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी / टैक्स – यह दर राज्य के हिसाब से अलग होती है । हर यूनिट के चार्ज पर एक percentage duty लगती है। कई राज्यों में इसे “Electricity Duty” कहीं “GST”, और कहीं “Surcharge” लिखा जाता है।

2 kW(किलोवाट) में कौन-कौन से उपकरण साथ में चल सकते हैं? बिल कितना आएगा?

आम तौर पर छोटे, खटास/इंटरमिटेंट हाई-वाटेज अप्लायंस (जैसे इंडक्शन) कंटिन्युअस लोड के लिए है । यह चलाते समय कुल शॉर्ट-टर्म पावर 2 किलोवाट से अधिक हो सकता है। स्लैब्ड टैरिफ होने पर ज्यादा यूनिट खपत पर प्रति-यूनिट रेट बढ़ सकता है । AC और कुछ मोटर्स का स्टार्ट-अप करंट रनिंग करंट से बहुत ज्यादा होता है , मतलब 1.5 ton AC तकनीकी रूप से 1.5 kW चलता है पर स्टार्ट के समय झटका ज़्यादा हो सकता है।

2 किलोवाट लोड में सब्सिडी मिलती है क्या? किन शर्तों पर?

2 kW के घरेलू कनेक्शन में सब्सिडी मिलती है या नहीं, यह पूरी तरह आपके राज्य (State Electricity Board/Discom) पर निर्भर करता है। लोड (1 kW, 2 kW, 5 kW…) मायने नहीं रखता, फर्क इस बात से पड़ता हैं कि आप महीने में कितनी यूनिट खपत कर रहे है।

आखिर सब्सिडी मिलती कब है?

अगर आप खपत सीमा से कम बिजली उपयोग करते हैं, तो बिजली बिल पर प्रत्यक्ष छूट या कैशबैक मिलता है। कुछ राज्यों में खपत सीमा से ज़्यादा यूनिट खर्च करने पर सब्सिडी ख़त्म कर दी जाती है। कई राज्यों में 200–300 यूनिट तक सब्सिडी दी जाती है। यह आपके क्षेत्र पर निर्भर करता है। जैसे

मध्यप्रदेश – में “संबल योजना” व अन्य योजनाओं के तहत 100 यूनिट तक ₹100 की सब्सिडी दी जाती है।

पंजाब – पंजाब में 300 यूनिट तक फ्री बिजली (अगर लोड घरेलू है और बिल सही नाम पर है)

उत्तर प्रदेश / बिहार / राजस्थान – इन क्षेत्रों में स्लैब रेट कम रखा गया है, लेकिन दिल्ली/पंजाब जैसी सीधी सब्सिडी कम देखने को मिलती है।

सब्सिडी की शर्तें क्या है?

•घरेलू कनेक्शन (Domestic) होना चाहिए ।

•कनेक्शन धारक का नाम सही होना चाहिए (जैसे सब्सिडी परिवार के हक़दार पर ही मिलेगी)।

•बिल समय पर जमा करना ज़रूरी है नही तो कई जगह लेट पेमेंट पर सब्सिडी कैंसिल हो जाती है।

•कुछ जगह इनकम ग्रुप / समाजिक योजना के आधार पर भी छूट मिलती है (जैसे BPL कार्ड धारकों को)।

•खपत लिमिट (200, 300 या 400 यूनिट तक) से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए ।

निष्कर्ष

➡️ 2 किलोवाट लोड होने से आपकी सब्सिडी नहीं रुकती। आपकी सब्सिडी सिर्फ़ कुछ चीज़ों पर निर्भर करती है जैसे आपका राज्य , आपकी मासिक यूनिट , खपत , आपका कनेक्शन टाइप (Domestic/Commercial) आदि सरकार की लागू स्कीम्स है।

“गाँवों में सुनने की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर”

अक्सर गाँवों में सुनने की समस्या मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। “गाँवों में सुनने की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर” जानें इसके कारण, प्रभाव, समस्या और समाधान।

गाँवों में अधिकतर लोग छोटी-छोटी बीमारियों को गंभीरता से नहीं लेते है, जब तक स्थिति बिगड़ न जाए, तब तक इलाज के लिए आगे नहीं बढ़ते। इन्हीं स्वास्थ्य समस्याओं में से एक है सुनने की समस्या (Hearing Problem)। किसी भी व्यक्ति की सुनने की क्षमता कम होना सिर्फ शारीरिक परेशानी नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है।

खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां सामाजिक संपर्क और परिवारिक रिश्ते मानसिक सुख-शांति का आधार होते हैं, वहाँ सुनने की समस्या व्यक्ति को अकेलापन, तनाव और अवसाद की ओर ले जा सकती है।

गाँवों में सुनने की समस्या अधिक क्यों होती है?

1. स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी – समय पर जांच और इलाज न मिल पाने से समस्या बढ़ जाती है।

2. जागरूकता की कमी – लोग सुनने की समस्या को सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

3. उम्र बढ़ने का असर – ग्रामीण क्षेत्रों में बुज़ुर्गों की संख्या अधिक होती है और उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता कम होती है।

4. शोर प्रदूषण – खेतों में ट्रैक्टर, मशीनरी और गाँवों में तेज़ लाउडस्पीकर भी कानों को नुकसान पहुँचाते हैं।

5. संक्रमण और दवाइयों की कमी – कान के संक्रमण का समय पर इलाज न होने से सुनने की क्षमता कमजोर हो सकती है।

” गाँवों में सुनने की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य पर इसका असर”

सुनने की समस्या व्यक्ति को सिर्फ संवाद (Communication) से नहीं रोकती, बल्कि उसकी भावनात्मक और मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करती है।

1. अवसाद (Depression)

सुनने में कठिनाई होने से व्यक्ति सामाजिक मेल-जोल से दूर होने लगता है। यह अकेलापन धीरे-धीरे अवसाद में बदल सकता है।

2. तनाव (Stress)

जब व्यक्ति दूसरों की बातें बार-बार नहीं सुन पाता, तो उसमें चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ जाता है।

3. आत्मविश्वास में कमी

ग्रामीण समाज में सुनने की समस्या को अक्सर मज़ाक का विषय बना दिया जाता है, जिससे व्यक्ति का आत्मविश्वास घटता है।

4. स्मृति पर असर

कई शोध बताते हैं कि लंबे समय तक सुनने की समस्या रहने पर स्मृति और संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive Function) पर भी बुरा असर पड़ता है।

5. बच्चों पर प्रभाव

गाँवों में यदि बच्चों को सुनने की समस्या हो, तो उनकी पढ़ाई, भाषा सीखने की क्षमता और सामाजिक विकास प्रभावित होता है।

गाँवों में सुनने की समस्या की पहचान कैसे करें?

गाँवों में लोग अक्सर डॉक्टर के पास जाने से बचते हैं। ऐसे में परिवार के लोग इन लक्षणों से पहचान सकते हैं:

टीवी या मोबाइल को तेज़ आवाज़ में सुनना।

बार-बार बात को दोहराने के लिए कहना।

समूह में बातचीत से बचना।

बुज़ुर्गों का बातचीत में भाग न लेना।

बच्चों का धीमी आवाज़ पर प्रतिक्रिया न करना।

सुनने की समस्या और मानसिक स्वास्थ्य की रोकथाम

1. समय पर जांच – प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कान की नियमित जांच करवानी चाहिए।

2. सुनने की मशीन (Hearing Aid) – यदि डॉक्टर सलाह दें, तो सुनने की मशीन का उपयोग करना चाहिए।

3. जागरूकता अभियान – गाँवों में जागरूकता शिविर लगाकर लोगों को समस्या और उसके समाधान के बारे में बताना।

4. योग और ध्यान – मानसिक तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान लाभकारी हैं।

5. सामाजिक सहयोग – परिवार और समाज को सुनने की समस्या से जूझ रहे व्यक्ति को सहयोग और सहानुभूति देनी चाहिए।

6. सरकारी योजनाएँ – सरकार द्वारा दिव्यांगजन और बुज़ुर्गों के लिए कई योजनाएँ चल रही हैं जिनसे मुफ्त या सब्सिडी में हियरिंग एड मिल सकते हैं।

कुछ अन्य पूछे गए FAQs

Q1. गाँवों में सुनने की समस्या क्यों ज़्यादा होती है?

👉 गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाओं और जागरूकता की कमी, संक्रमण का समय पर इलाज न होना और उम्र संबंधी कारणों से सुनने की समस्या अधिक पाई जाती है।

Q2. क्या सुनने की समस्या से अवसाद हो सकता है?

👉 हाँ, लगातार संवाद न कर पाने और अकेलेपन की वजह से व्यक्ति अवसाद (Depression) का शिकार हो सकता है।

Q3. बच्चों में सुनने की समस्या का क्या असर पड़ता है?

बच्चों की पढ़ाई, भाषा विकास और आत्मविश्वास पर सीधा असर पड़ता है।

Q4. बुज़ुर्गों में सुनने की कमजोरी का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव होता है?

बुज़ुर्ग अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं, जिससे तनाव और स्मृति कमजोर होने की समस्या हो सकती है।

Q5. गाँवों में सुनने की समस्या का समाधान कैसे किया जा सकता है?

जागरूकता अभियान, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जांच, सुनने की मशीन का इस्तेमाल और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाकर इस समस्या को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

गाँवों में सुनने की समस्या को सिर्फ शारीरिक बीमारी मानना सही नहीं है। यह मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक जीवन और परिवारिक रिश्तों पर गहरा असर डालती है। यदि समय रहते इस पर ध्यान दिया जाए तो न सिर्फ सुनने की क्षमता को बचाया जा सकता है बल्कि व्यक्ति के मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।गाँवों में ज़रूरत है कि इस समस्या को गंभीरता से लिया जाए और हर स्तर पर जागरूकता फैलाई जाए, ताकि कोई भी व्यक्ति सिर्फ सुनने की कमी की वजह से समाज से अलग-थलग न हो।

Ayushman Bharat Card बनवाने की Step by Step प्रक्रिया

“Ayushman Bharat Card बनवाने की Step by Step प्रक्रिया” आयुष्मान भारत कार्ड योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा शुरू की गई थी। आयुष्मान भारत कार्ड गरीब और कमजोर परिवारों को सालाना ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज उपलब्ध कराता है और यह भारत की सबसे बड़ी हेल्थ प्रोटेक्शन योजना है।

क्या है आयुष्मान भारत कार्ड?

आयुष्मान भारत कार्ड एक स्वास्थ्य बीमा कार्ड है, जिसके जरिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोग देशभर मे कहीं भी सरकारी व निजी (Empanelled) अस्पतालों में फ्री इलाज करवा सकते हैं। यह योजना दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना (Health Insurance Scheme) मानी जाती है। इस कार्ड के माध्यम से कोई भी नागरिक बड़ी से बड़ी बीमारी का इलाज बिल्कुल मुफ्त करवा सकता है।

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आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) कब शुरू की गई थी?

इस योजना की घोषणा मुख्य रूप से 2018 में 2018 के आम बजट (Union Budget 2018-19) में वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा की गई थी । परंतु औपचारिक रूप से इसका शुभारंभ 23 सितंबर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा झारखंड के रांची से किया गया था । इस योजना को पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के नाम से जाना जाता था । जिसे अभी PM -JAY योजना के रूप मे जाना जाता हैं। इस योजना को सबसे निचले 40% गरीब आबादी वाले नागरिकों के लिए शुरू किया गया था।

आयुष्मान भारत कार्ड योजना में किस प्रकार की बीमारियों का इलाज मुफ्त है?

इस योजना के माध्यम से ऐसी बड़ी बीमारियों का इलाज किया जाता है जिसकी ट्रीटमेंट कीमत आम नागरिक की आय से बहुत अधिक होती है ।

• किडनी व लिवर ट्रांसप्लांट

• न्यूरो सर्जरी

•मातृत्व व नवजात शिशु देखभाल

•डायबिटीज से जुड़ी जटिलताएँ

•फ्रैक्चर व बड़े ऑपरेशन

•कैंसर

•हार्ट की बीमारी आदि

Ayushman Bharat Card बनवाने की Step by Step प्रक्रिया

ज़रूरी दस्तावेज़

•आधार (या अन्य वैध फोटो आईडी)

•PDS/AAY राशन कार्ड, BoCW प्रमाणपत्र, या PM/CM पात्रता पत्र (राज्य के अनुसार)

•मोबाइल नंबर, पता आदि ।

Note 👉कई राज्यों में प्रक्रिया शून्य शुल्क बताई गई है; प्रिंटिंग चार्ज स्थानीय CSC पर हो सकता है ।

अब आगे क्या

PM-JAY की आधिकारिक वेबसाइट/Beneficiary Portal पर जाएँ और “Am I Eligible / Beneficiary Login” से मोबाइल OTP द्वारा लॉग-इन करें।

अपना/परिवार का नाम खोजकर देखें कि आपका नाम सूची में हैं या नहीं। यह नागरिक पोर्टल “Mera PM-JAY”/Beneficiary Portal पर उपलब्ध है ।

ऑनलाइन “Self-Registration + eKYC” करके कार्ड बनायें

NHA का SETU पोर्टल खोलें। फिर Register Yourself & Search Beneficiary या हिंदी में लिखा होगा अपनी बुनियादी जानकारी भरें।

e-KYC (आधार पर OTP/बायोमेट्रिक) कर के सबमिट करें और स्वीकृति का इंतज़ार करें स्वीकृति मिलते ही Download Ayushman Card (e-Card) करें; चाहें तो निकटतम CSC/हॉस्पिटल डेस्क से PVC/प्रिंट भी ले सकते हैं।

70+ वरिष्ठ नागरिक के लिए , यदि आपकी उम्र 70 वर्ष या उससे अधिक है, तो आयुष्मान वय वंदना कार्ड के तहत बनवा सकते है। जानकारी/नामांकन सहायता के लिए 1800-11-0770 पर मिस्ड कॉल दें, या ऊपर दी गई वही प्रक्रिया अपनायें।

आयुष्मान भारत कार्ड किन लोगों को मिलता है?

• ग्रामीण क्षेत्र (Rural Area) के पात्र लोग – जिन ग्रामीण वासियों के कच्चे मकान है और जिन परिवारों में कोई शारीरिक रूप से सक्षम सदस्य नहीं है। जिन परिवारों में महिला मुखिया है और 16 से 59 वर्ष के बीच कोई पुरुष सदस्य नहीं है और पढ़ा – लिखा सदस्य नहीं है। अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के परिवार के सदस्यों को। एवम जो भूमिहीन मजदूर परिवार हैं जो मजदूरी कर के जीवनयापन करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो बेघर (Homeless) है या भिखारी हैं ।

• शहरी क्षेत्र (Urban Area) में ऐसे लोग जिनके परिवार में रिक्शा चालक है। जो महिला या पुरुष घरेलू कामगार (मेड/नौकरानी) है उनको भी इस योजना का लाभ दिया जाता हैं। सफाई कर्मचारी , कूड़ा बीनने वाले , निर्माण मजदूर , दुकानों / छोटे प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोग, ठेला चलाने वाले , चौकीदार / मजदूर वर्ग के लोग आदि सभी लोग आयुष्मान भारत कार्ड योजना के लिए पात्र है।

• ऐसे परिवार जो सामाजिक-आर्थिक जनगणना SECC-2011 में चिन्हित किए गए हैं। गरीब, वंचित और जरूरतमंद परिवार जिनके पास स्वास्थ्य बीमा की कोई अन्य सुविधा नहीं है। वे परिवार जो BPL (गरीबी रेखा से नीचे) आते है।

आयुष्मान भारत योजना का लाभ किन अस्पतालों में लिया जा सकता है?

आयुष्मान भारत कार्ड प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के लाभार्थी मरीज अपना इलाज सिर्फ उन्हीं अस्पतालों में करवा सकते हैं जो इस योजना मे Empanelled (सूचीबद्ध / पंजीकृत) हैं।

• सरकारी अस्पताल (Government Hospitals) में , सभी ज़िला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और AIIMS जैसे बड़े सरकारी अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC), में

• निजी अस्पताल (Private Hospitals) में, केवल ऐसे निजी अस्पताल जो PM-JAY योजना से जुड़े (Empanelled) हैं। जिन अस्पतालों को सरकार से कार्डधारकों का कैशलेस इलाज करने की अनुमति मिली है।

कैसे पता करें कि कौन सा अस्पताल इस योजना में शामिल है?

• सबसे पहले आधिकारिक वेबसाइट 👉 https://hospitals.pmjay.gov.in पर जाएँ।

• “Find Hospital” विकल्प चुनें। फिर राज्य, जिला और अस्पताल का नाम डालें। फिर आपके सामने पूरे क्षेत्र की सूची आ जाएगी कि कौन-कौन से सरकारी और निजी अस्पताल आयुष्मान कार्ड स्वीकार करते हैं।

आयुष्मान भारत कार्ड योजना के तहत एक परिवार को सालाना कितनी राशि तक का मुफ्त इलाज मिलता है?

इस योजना के तहत प्रति परिवार हर साल ₹5 लाख तक का मुफ्त इलाज मिलता है। जिसमे 25 से ज्यादा स्पेशियलिटी और 1,500+ तरह की बीमारियाँ/सर्जरी कवर की जाती है।

विषय विवरण
योजना का नामआयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)
शुभारंभ तिथि23 सितंबर 2018
घोषणा तिथि केंद्रीय बजट 2018-19 में
लॉन्च करने वालेप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
लॉन्च स्थलरांची, झारखंड
मुख्य उद्देश्यगरीब व वंचित परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य बीमा सुविधा देना
लाभ राशि प्रति परिवार प्रति वर्ष ₹5 लाख तक मुफ्त इलाज
लाभार्थी परिवार लगभग 10.74 करोड़ परिवार (50 करोड़ से अधिक लोग)
इलाज का प्रकारकैशलेस व पेपरलेस (Cashless & Paperless)
कहाँ इलाज होगासभी सरकारी अस्पताल और PM-JAY से जुड़े निजी अस्पताल
क्या कवर है1500+ बीमारियाँ/प्रक्रियाएँ – कैंसर, हार्ट सर्जरी, किडनी, फ्रैक्चर, मातृत्व सेवाएँ आदि
क्या कवर नहीं हैOPD खर्च, नशे की लत का इलाज, कॉस्मेटिक सर्जरी आदि
पात्रताBPL परिवार, SECC-2011 सर्वे में चिन्हित गरीब व वंचित परिवार
आवेदन प्रक्रियाCSC केंद्र या pmjay.gov.in पर जाकर
कार्ड प्रकारडिजिटल ई-कार्ड (डाउनलोड कर सकते हैं)

अन्य पूछे गए प्रश्न

1.आयुष्मान भारत योजना का संचालन कौन करता है?

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PMJAY) का संचालन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) करता है ।

2. “PM-JAY” का पूरा नाम क्या है?

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) ।

3. प्रति परिवार इलाज की अधिकतम सीमा कितनी है?

प्रति वर्ष प्रति परिवार ₹5 लाख तक की कवरेज सीमा प्रदान करना है

4. आयुष्मान भारत योजना के तहत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों के कितने लाभार्थियों को कवर किया गया है?

लगभग 10.74 करोड़ परिवार (50 करोड़ से अधिक लोग)।

5. इस योजना को लागू करने वाली नोडल एजेंसी का नाम बताइए।

आयुष्मान कार्ड योजना या आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) को लागू करने वाली शीर्ष नोडल एजेंसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) है ।

6.आयुष्मान भारत योजना में कितनी तरह की बीमारियों/प्रोसीजर को कवर किया गया है?

कैंसर, हार्ट सर्जरी, किडनी, फ्रैक्चर, मातृत्व सेवाएँ आदि ।

7.आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?

गरीब और वंचित परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराना और भारत को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) की दिशा में आगे बढ़ाना।

8.योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने से पहले व बाद का खर्च भी शामिल है या नहीं?

हाँ, PM-JAY) योजना में अस्पताल में भर्ती से पहले और बाद का खर्च भी शामिल है।

9.किस राज्य ने आयुष्मान भारत को अपने राज्य की योजना के साथ जोड़कर लागू किया है?

इस योजना में ओडिशा, पुदुचेरी, महाराष्ट्र, और केरल ने अपनी राज्य योजनाओं को आयुष्मान भारत PM-JAY के साथ जोड़कर लोगों को अधिक व्यापक और सुविधाजनक स्वास्थ्य कवरेज उपलब्ध कराया है।

10. आयुष्मान कार्ड की वैधता (Validity) कितने समय की होती है?

आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY) के तहत मिलने वाला आयुष्मान कार्ड (e-Card) की कोई समय सीमा (Expiry Date) नहीं होती।एक बार कार्ड बन जाने के बाद यह जीवनभर (Lifetime) मान्य होता है।

How to check battery health in laptop/लैपटॉप में बैटरी स्वास्थ्य की जांच कैसे करें

आज हम जानेंगे How to check battery health in laptop/लैपटॉप में बैटरी स्वास्थ्य की जांच कैसे करें लैपटॉप की बैटरी एक रिचार्जेबल पावर सोर्स होती है, जो लैपटॉप को बिजली न होने पर चलाती है। अधिकतर लैपटॉप्स में Lithium-ion (Li-ion) या Lithium-Polymer (Li-Po) बैटरी लगी होती है।

अधिकतर लैपटॉप्स में Lithium-ion या Lithium-Polymer बैटरी उपयोग की जाती है। नई बैटरी सामान्य उपयोग में लगभग 4–8 घंटे तक बैकअप देती है, लेकिन यह आपके काम पर निर्भर करता है। अगर आप सिर्फ ब्राउज़िंग या डॉक्यूमेंट्स का काम करते हैं तो बैकअप ज़्यादा मिलेगा, और अगर गेमिंग या वीडियो एडिटिंग करते हैं तो बैकअप जल्दी खत्म होगा। लैपटॉप को ज़्यादा गर्म न होने दें और हमेशा ओरिजिनल चार्जर का ही इस्तेमाल करें।

🔋बैटरी की लाइफ कितनी होती है?

सामान्य तौर पर 2 से 4 साल (लगभग 500–1000 चार्जिंग साइकल्स)। समय के साथ बैटरी की क्षमता (Capacity) घटती रहती है। एक चार्जिंग साइकल मतलब 100% तक चार्ज होना और फिर पूरी तरह से डिस्चार्ज हो जाना।

अधिकतर लैपटॉप की बैटरी लगभग 500 से 1000 चार्जिंग साइकल्स तक सही काम करती है। अगर आप बैटरी को बार-बार 0% तक डिस्चार्ज करते हैं और फिर उसे चार्ज करते हो तो बैटरी जल्दी खराब होगी। 20% से ऊपर चार्ज करते रहेंगे और लैपटॉप को ओवरहीट नहीं होने देंगे तो लाइफ लंबी होगी।

🔋 बैटरी के प्रकार कितने होते हैं ?

1. Lithium-ion (Li-ion)

•यह बैटरी सबसे ज्यादा उपयोग होती है।

•हल्की, टिकाऊ और जल्दी चार्ज होती है।

•Heat से जल्दी खराब हो सकती है।

2. Lithium-Polymer (Li-Po)

•यह पतली और लचीली होती है।

• यह बैटरी ज्यादातर नए slim लैपटॉप्स में मिलती है।

•यह महंगी होती है लेकिन बेहतर भी बैकअप देती है।

पहले जो लैपटॉप्स आते थे उनमें में कभी-कभी Nickel-Cadmium (Ni-Cd) और Nickel-Metal Hydride (Ni-MH) बैटरियां भी मिलती थीं, लेकिन अब उनका इस्तेमाल लगभग बंद हो चुका है।

🔋बैटरी की हेल्थ कैसे बढ़ाएँ?

• हमेशा Original Charger का उपयोग करें। क्योंकि चार्जर भी बैटरी हेल्थ खराब होने का कारण बनता हैं।

• लैपटॉप को बहुत ज्यादा Overheat न होने दें।

•बार-बार 0% तक डिस्चार्ज न करें (20–30% तक आते ही चार्ज कर लें)। अगर आप बैटरी को बार-बार 0% तक डिस्चार्ज करते हैं और फिर उसे चार्ज करते हो तो बैटरी जल्दी खराब होगी।

• अगर लंबे समय तक लैपटॉप नहीं चलाना है तो बैटरी को 50% चार्ज पर स्टोर कर के रखे।

• बैटरी स्टेटस (Battery Health) को समय-समय पर चेक करते रहे।

• Power Settings का ध्यान रखें – Windows या Mac में Battery Saver Mode या Balanced Mode का इस्तेमाल करें।

•Regularly Clean करें – लैपटॉप के फैन और वेंट्स साफ करके रखें ताकि बैटरी और सिस्टम ओवरहीट न हो जिससे बैटरी की लाइफ बनी रहे।

🔋बैटरी खराब होने के लक्षण/Symptoms of battery malfunction

• चार्ज जल्दी खत्म होना 👉 पहले जहाँ 3-4 घंटे चलती थी, अब 30-40 मिनट में ही खत्म हो जाती है।

• चार्जिंग में दिक्कत – बैटरी चार्ज ही नहीं होती या 100% दिखाता है लेकिन प्लग निकालते ही डिस्चार्ज हो जाता है।

• लैपटॉप प्लग निकालते ही बंद होना 👉 इसका मतलब बैटरी बिल्कुल भी पावर स्टोर नहीं कर रही , बैटरी खराब होने का लक्षण साफ नजर आ रहा है।

• बैटरी फूल जाना (Swelling) 👉 बैटरी का आकार फूल जाए तो तुरंत बदलना ज़रूरी है, वरना लैपटॉप को नुकसान पहुँचा सकती है।

• चार्जिंग टाइम बढ़ जाना 👉बैटरी को पूरा चार्ज होने में पहले से ज्यादा समय लगने लगे।

• बैटरी प्रतिशत सही न दिखना 👉 कभी- कभी 80% से सीधे 20% हो जाना, या फिर बैटरी का लेवल अचानक गिर जाना ।

• बैटरी हेल्थ रिपोर्ट में Capacity घट जाना 👉 Windows में रिपोर्ट निकालने पर “Design Capacity” और “Full Charge Capacity” में बहुत फर्क दिखने लगेगा।

🔋How to check battery health in laptop/लैपटॉप में बैटरी स्वास्थ्य की जांच कैसे करें

  1. Windows Laptop में

# Command Prompt Method

Start Menu खोलें और cmd (Command Prompt) सर्च करें।

•फिर इसमे लिखे powercfg /batteryreport फिर Enter दबाएँ। अब आपकी यूज़र फोल्डर (C:\Users\YourName) में battery-report.html नाम की फ़ाइल बन जाएगी। इस फाइल को आप Chrome/Edge में खोलकर देख सकते हैं। यहाँ आपको दो पॉइंट्स दिखेंगे

👉Design Capacity (बैटरी की असली क्षमता जब नई थी)

Full Charge Capacity (वर्तमान क्षमता)

यदि दोनों पॉइंट्स में बहुत फर्क है (जैसे 40-50% कम हो गई है) तो फिर समझ जाइए कि बैटरी बदलने का समय आ गया है।

#Settings से

Windows 11 में: Settings → System → Power & Battery → Battery usage.

यहाँ आपको बैटरी परफॉरमेंस और बैकअप का आइडिया मिल जाएगा।

2.MacBook में

ऊपर बाएँ Apple Menu → System Information → Power पर जाएँ। वहाँ Battery Health और Cycle Count लिखा मिलेगा। अगर यह “Normal” की जगह “Service Recommended” दिखा रहा है तो बैटरी बदलनी पड़ेगी।

3.Third-Party Apps

Windows के लिए: BatteryInfoView, HWMonitor

Mac के लिए: CoconutBattery

यदि बैटरी की Full Charge Capacity, उसकी Design Capacity से 25–30% तक गिर गई है, तो समझिए बैटरी कमजोर हो गई है।

🔋बैटरी खराब होने पर नई बैटरी खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

लैपटॉप की बैटरी एक रिचार्जेबल पावर सोर्स होती है,जिससे लैपटॉप बिजली न होने पर भी चल सकता है। नई बैटरी सामान्य उपयोग में लगभग 4–8 घंटे तक बैकअप देती है, लेकिन यह आपके काम पर निर्भर करता है। यदि आप सिर्फ ब्राउज़िंग या डॉक्यूमेंट्स का काम करते हैं तो बैकअप ज़्यादा मिलेगा, और अगर गेमिंग या वीडियो एडिटिंग करते हैं तो बैकअप जल्दी खत्म होगा।

1. Model Compatibility देखें

हर लैपटॉप के लिए बैटरी अलग होती है। बैटरी खरीदने से पहले लैपटॉप का Model Number और Battery Part Number चेक करें।

2. Original / Genuine Battery लें

हमेशा कंपनी की Original Battery या Certified Replacement ही खरीदें। Local या Duplicate बैटरी सस्ती तो मिल जाएगी, लेकिन जल्दी खराब हो जाएगी और लैपटॉप को नुकसान पहुँचा सकती है।

3. Capacity (mAh / Wh) चेक करें

बैटरी पर उसकी क्षमता लिखी होती है। कोशिश करें कि आपकी पुरानी बैटरी जितनी या उससे थोड़ी ज़्यादा क्षमता वाली बैटरी ही लें।

4. Warranty

देखें बैटरी खरीदते समय कम से कम 6 महीने से 1 साल की Warranty होनी चाहिए।

5. Trusted Seller

से ही खरीदेंबैटरी हमेशा Authorized Service Center या Trusted Online Stores (जैसे Amazon, Flipkart Official Stores) से ही खरीदें।

6. Manufacturing Date चेक करें

बैटरी नई होनी चाहिए। बहुत पुरानी बैटरी (2-3 साल पहले बनी हुई) लेने से उसकी लाइफ कम मिलेगी।

“अटल भूजल योजना की शुरुआत कब हुई”

अटल भूजल योजना एक व्यवहारिक पहल है जो स्थानीय समुदायों और संस्थागत तंत्र दोनों को सशक्त बनाकर जल प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में कार्यरत है। आज हम जानेंगे “अटल भूजल योजना की शुरुआत कब हुई”

1.अटल भूजल योजना क्या है?

अटल भूजल योजना एक ऐसी योजना है जो गाँवों और किसानों को साथ लेकर पानी बचाने और भूजल का सही उपयोग करने पर केंद्रित है। यह योजना एक समुदाय आधारित जल प्रबंधन कार्यक्रम है, जिसमें गाँव की पंचायतें, किसान और स्थानीय लोग मिलकर पानी के उपयोग की योजना बनाते हैं। सरकार इस योजना के लिए राज्यों को आर्थिक सहायता देती है । अटल भूजल योजना एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना (Central Sector Scheme) है, जिसका उद्देश्य ज़मीनी जल (groundwater) का सतत प्रबंधन करना है।

2.अटल भूजल योजना की शुरुआत कब हुई?

अटल भूजल योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती के अवसर पर 25 दिसंबर 2019 को की थी। अटल भूजल योजना 2020–21 में लागू की गई थी और मूल रूप से 2025 तक चलनी थी, लेकिन बाद में इसे बढ़ाकर 2027 तक कर दिया गया है।इसका योजना के माध्यम से देश में भूजल (Groundwater) का संरक्षण और प्रबंधन करना है, ताकि लोगों को लंबे समय तक साफ और पर्याप्त पानी मिल सके।

3.अटल भूजल योजना किसके उपलक्ष्य में शुरू की गई थीं ?

अटल भूजल योजना की शुरुआत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की 95वीं जयंती के उपलक्ष्य में की गई थी। इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2019 को लॉन्च किया था। योजना का नाम भी अटल जी की याद में रखा गया है, ताकि उनके योगदान और दृष्टि को सम्मान दिया जा सके। अटल भूजल योजना, अटल जी के ग्राम विकास, जल संरक्षण और सतत कृषि वाले विज़न को आगे बढ़ाने के लिए उनकी 95 वी जयंती पर शुरू की गई थी।

4.अटल भूजल योजना का उद्देश्य क्या है ?

•अटल भूजल योजना के माध्यम से वर्षा जल संचयन और अन्य उपायों से जल स्रोतों को पुनर्जीवित करना।

•लोगों को जल के उपयोग के बारे में जागरूक और जिम्मेदार बनाना।

• खेती करने में पानी की बचत वाली तकनीकें अपनाना (जैसे ड्रिप इरिगेशन)।

•इसका उद्देश्य भूजल का संरक्षण करना और जल स्तर में सुधार करना है।

•गाँव स्तर पर जल सुरक्षा योजना (Water Security Plan) तैयार करना।

5.अटल भूजल योजना से संबंधित क्षेत्र और कवरेज एरिया कौन कौन से है?

गुजरात , हरियाणा , कर्नाटक , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश ।

कवरेज एरिया का विस्तार :- लगभग 78 जिलों, 193 ब्लॉक्स, और 8,200–8,350 ग्राम पंचायतों में यह योजना लागू की गई है । कुल मिलाकर यह योजना लगभग 8,213 या 8,350 ग्राम पंचायतों को लाभान्वित करती है ।उदाहरण: गुजरात में लगभग 1,873 ग्राम पंचायतें; हरियाणा में 1,656 ग्राम पंचायतें शामिल हैं ।

6. अटल भूजल योजना के मुख्य घटक ?

(i) Institutional Strengthening & Capacity Building

बजट: ₹1,400 करोड़।

उद्देश्य: इसका उद्देश्य राज्य स्तर पर डेटा बेस तैयार करना, वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना, संस्थागत व्यवस्था मजबूत बनाना और समुदाय की भागीदारी बढ़ाना।

(ii) Incentive Component

बजट: ₹4,600 करोड़।

उद्देश्य: राज्यों को शामिल गतिविधियों—जैसे कि जल सुरक्षा योजनाएं, डेटा का सार्वजनिक खुलासा, अन्य योजनाओं के साथ समन्वय (convergence), और जल उपयोग में दक्षता (demand-side management)—में सुधार हेतु प्रोत्साहित करना ।

7.अटल भूजल योजना का प्रदर्शन (Performance) और विस्तार

यह योजना 2025 तक लागू थी। लेकिन कोविड-19 के प्रभाव के कारण, इसे राष्ट्रीय संचालन समिति की बैठक में और दो वर्षों के लिए आगे बढ़ाया दिया गया, जिससे अब यह 2027 तक चलेगी और इससे लगभग 8,220 ग्राम पंचायतों को लाभ होगा ।राज्य क्षेत्र में प्रदर्शन: मार्च 2024 की रैंकिंग में हरियाणा ने महाराष्ट्र के बाद दूसरी सर्वश्रेष्ठ स्थिति बनाई। हरियाणा के चारखी दादरी (द्वितीय स्थान) और भिवानी (पाँचवाँ स्थान) जैसे जिले टॉप 5 में शामिल रहे ।

8. अटल भूजल योजना की अवधि, बजट और वित्तीय व्यवस्था ?

अवधि: यह योजना पाँच साल के लिए (2020–21 से 2024–25 तक) लागू थी जिसे बढ़ाकर अब 2027 तक कर दिया गया है।

बजट: इस योजना में कुल ₹6,000 करोड़ का प्रावधान है। इसमें ₹3,000 करोड़ विश्व बैंक (World Bank) ऋण और ₹3,000 करोड़ भारत सरकार का मैचिंग योगदान है

वित्तीय : विश्व बैंक के तहत “Program for Results (PforR)” मोडल में फंड राज्यों को पहले नीतिगत लक्ष्यों की प्राप्ति के बाद ही हस्तांतरित किया जाता है ।

लेवल Information (जानकारी)
शुरुआत 25 दिसंबर 2019
अवधि पहले 2020-21 से 2025
अब 2020-21 से 2027 तक ।
बजट ₹6000 करोड रुपए (विश्व बैंक :₹3000 करोड़, भारत सरकार ₹3000 करोड़)
राज्य गुजरात , हरियाणा , कर्नाटक , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश ।
कवरेज एरिया लगभग 178 जिलों, 193 ब्लॉक, 8200-8350 ग्राम पंचायत ।
मुख्य घटक संस्थागत क्षमता निर्माण
विस्तार 2025 से 2027 तक 2 साल विस्तार
प्रदर्शन (performance)हरियाणा राज्य शीर्ष क्रम पर

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