“2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है?”

जब बात आती है बिजली की तब वहां एक और बात आती है , वह हैं बिजली बिल । कि घरों में पंखा, टीवी, फ्रिज आदि में ,”2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है?”

लेकिन इनकी खपत (units) और राज्य के हिसाब से लगने वाला per unit चार्ज तय करता है कि बिजली का बिल कितना आयेगा। क्योंकि प्रत्येक राज्य और क्षेत्र के हिसाब से अलग-अलग बिल जनरेट किया जाता है ।

2 किलोवाट बिजली का बिल कितना आता है? प्रत्येक महीने

किसी भी क्षेत्र में बिजली बिल का आना सीधे-सीधे उपयोग (कितने घंटे रोज़ चल रहा है) और आपके राज्य का प्रति यूनिट रेट (₹/kWh) पर निर्भर करता है।

क्योंकि यह प्रत्येक राज्य के प्रति यूनिट रेट के अनुसार जनरेट किया जाता है । इसलिए सीधे तौर पर किसी भी क्षेत्र के बिजली बिल के बारे में पता पाना थोड़ा कठिन है । आप अपने ए क्षेत्र का बिजली बिल की गणना स्वयं सूत्र के माध्यम से कर सकते हैं यदि आपको कुछ बेसिक जानकारी पता हो कि आपके क्षेत्र में कितने रुपए एक का यूनिट लिया जाता है

बिजली बिल निकालने का फॉर्मूला या सूत्र?2 kW का बिल कैसे कैलकुलेट करें?

लोड (kW) × घंटे (प्रति दिन) × 30 दिन = यूनिट (kWh) और unit निकल जाने के बाद

यूनिट × प्रति यूनिट रेट (₹) = कुल बिल( + फिक्स्ड चार्ज + टैक्स आदि

प्रत्येक राज्य का per unit rate अलग होता है (₹4–₹9 तक हो सकता है) उसी हिसाब से बिल बनता है। कई राज्यों में 200 यूनिट तक सब्सिडी भी मिलती है (जैसे दिल्ली, पंजाब, MP आदि)। फिक्स्ड चार्ज अलग-अलग डिस्कॉम में अलग होते हैं ।

2 kW connection में प्रति यूनिट चार्ज कैसे लगता है?

2 किलोवाट connection में प्रति यूनिट चार्ज (Electricity Tariff) वैसे ही लगता है जैसे किसी और घरेलू कनेक्शन में लगता है। लोड (1 kW, 2 kW, 3 kW…) से per unit rate तय नहीं होता, बल्कि यह आपके State Electricity Board/Discom की tariff policy पर निर्भर करता है कि उन्होंने कितने % रेट तय कर रखा है। कई राज्यों में सब्सिडी दी जाती है जैसे दिल्ली, पंजाब, MP, आदि,अगर खपत कम है (200 यूनिट या 300 यूनिट तक), तो यूनिट चार्ज या तो आधा कर दिया जाता है या बिल माफ हो जाता है।

2 kW घरेलू कनेक्शन में मीटर चार्ज व टैक्स कैसे जुड़ते हैं?

घरेलू कनेक्शन का बिल सिर्फ़ “यूनिट × रेट” से नहीं बनता, बल्कि उसमें कुछ अतिरिक्त चार्ज भी जुड़े होते हैं। जैसे

1. मीटर चार्ज – डिस्कॉम (बिजली कंपनियाँ) हर महीने एक फिक्स्ड मीटर चार्ज जोड़ते हैं। यह चार्ज सभी जगह अलग-अलग हो सकता है । यह चार्ज लगभग ₹20 से ₹50/माह तक होता है। यदि आपके यहां स्मार्ट मीटर है तो कभी-कभी अलग से कम्युनिकेशन चार्ज (~₹10–₹20/माह) भी जोड़ा जाता है। कुछ राज्यों ने मीटर रेंट को ख़त्म कर दिया है और इसे फिक्स्ड चार्ज में ही शामिल कर दिया है।

2. फिक्स्ड चार्ज :- यह चार्ज आपके लोड (2 kW) के आधार पर लगता है।कुछ राज्यों में यह ₹150–₹200 तक हो सकता है।

3. इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी / टैक्स – यह दर राज्य के हिसाब से अलग होती है । हर यूनिट के चार्ज पर एक percentage duty लगती है। कई राज्यों में इसे “Electricity Duty” कहीं “GST”, और कहीं “Surcharge” लिखा जाता है।

2 kW(किलोवाट) में कौन-कौन से उपकरण साथ में चल सकते हैं? बिल कितना आएगा?

आम तौर पर छोटे, खटास/इंटरमिटेंट हाई-वाटेज अप्लायंस (जैसे इंडक्शन) कंटिन्युअस लोड के लिए है । यह चलाते समय कुल शॉर्ट-टर्म पावर 2 किलोवाट से अधिक हो सकता है। स्लैब्ड टैरिफ होने पर ज्यादा यूनिट खपत पर प्रति-यूनिट रेट बढ़ सकता है । AC और कुछ मोटर्स का स्टार्ट-अप करंट रनिंग करंट से बहुत ज्यादा होता है , मतलब 1.5 ton AC तकनीकी रूप से 1.5 kW चलता है पर स्टार्ट के समय झटका ज़्यादा हो सकता है।

2 किलोवाट लोड में सब्सिडी मिलती है क्या? किन शर्तों पर?

2 kW के घरेलू कनेक्शन में सब्सिडी मिलती है या नहीं, यह पूरी तरह आपके राज्य (State Electricity Board/Discom) पर निर्भर करता है। लोड (1 kW, 2 kW, 5 kW…) मायने नहीं रखता, फर्क इस बात से पड़ता हैं कि आप महीने में कितनी यूनिट खपत कर रहे है।

आखिर सब्सिडी मिलती कब है?

अगर आप खपत सीमा से कम बिजली उपयोग करते हैं, तो बिजली बिल पर प्रत्यक्ष छूट या कैशबैक मिलता है। कुछ राज्यों में खपत सीमा से ज़्यादा यूनिट खर्च करने पर सब्सिडी ख़त्म कर दी जाती है। कई राज्यों में 200–300 यूनिट तक सब्सिडी दी जाती है। यह आपके क्षेत्र पर निर्भर करता है। जैसे

मध्यप्रदेश – में “संबल योजना” व अन्य योजनाओं के तहत 100 यूनिट तक ₹100 की सब्सिडी दी जाती है।

पंजाब – पंजाब में 300 यूनिट तक फ्री बिजली (अगर लोड घरेलू है और बिल सही नाम पर है)

उत्तर प्रदेश / बिहार / राजस्थान – इन क्षेत्रों में स्लैब रेट कम रखा गया है, लेकिन दिल्ली/पंजाब जैसी सीधी सब्सिडी कम देखने को मिलती है।

सब्सिडी की शर्तें क्या है?

•घरेलू कनेक्शन (Domestic) होना चाहिए ।

•कनेक्शन धारक का नाम सही होना चाहिए (जैसे सब्सिडी परिवार के हक़दार पर ही मिलेगी)।

•बिल समय पर जमा करना ज़रूरी है नही तो कई जगह लेट पेमेंट पर सब्सिडी कैंसिल हो जाती है।

•कुछ जगह इनकम ग्रुप / समाजिक योजना के आधार पर भी छूट मिलती है (जैसे BPL कार्ड धारकों को)।

•खपत लिमिट (200, 300 या 400 यूनिट तक) से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए ।

निष्कर्ष

➡️ 2 किलोवाट लोड होने से आपकी सब्सिडी नहीं रुकती। आपकी सब्सिडी सिर्फ़ कुछ चीज़ों पर निर्भर करती है जैसे आपका राज्य , आपकी मासिक यूनिट , खपत , आपका कनेक्शन टाइप (Domestic/Commercial) आदि सरकार की लागू स्कीम्स है।

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